Saturday, July 7, 2018

Kya BHOOT Sach Main Hote Hain

जानिए भूतों के बारें में  : क्या हैं  आत्माओं का राज़ 



Bhoot Pret Kya Hote Hain Hindi Complete Information
भूत-प्रेत के नाम से एक अनजाना भय लोगो की मन को सताता है।  इसके किस्से भी सुनने को मिल जाते है और लोग बहुत रुचि व विस्मय के साथ इन्हें सुनते है और इन पर बनें सीरियल, फिल्मे देखते है व कहानियाँ पढ़ते हैं। भूत-प्रेत का काल्पनिक मनः चित्रण भी लोगों को भयभीत करता है-रात्रि के बारह बजे के बाद, अँधेरे में, रात्रि के सुनसान में भूत-प्रेत के होने के भय से लोग़ डरते हैं। क्या सचमुच भूत-प्रेत होते है ? यह प्रशन लोगों के मन में आता है ? क्योंकि इनके दर्शन दुर्लभ होते है, लेकिन ये होते है। जिस तरह से हम वायु को नहीं देख सकते, उसे महसूस कर सकते हैं, उसी तरह हम भूत को नहीं देख सकते पर कभी-कभी ये अचानक देखे भी जाते है।  भूतों का अस्तित्व आज भी रह्स्य बना हुआ है।  इसलिए इनके बारे में कोई भी जानकारी हमें रोमांच से भर देती है।
आखिर भूत है क्या ? यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है।  परंपरागत तौर पर यही माना जाता है कि भूत उन मृतको की आत्माएँ हैं, जिनकी किसी दुर्घटना, हिंसा, आत्महत्या या किसी अन्य तरह के आघात  आकस्मिक मृत्यु हुई है।  मृत्यु हो जाने के कारण इनका अपने स्थुल शरीर से कोई संबंध नहीं होता।  इस कारण ये भूत-प्रेत देखे नहीं जा सकते।  चूँकि हमारी पहचान हमारे शरीर से होती हैं और जब शरीर ही नहिं है तो मृतक आत्मा को देख पाना और पहचान पाना मुश्किल होता हैं। भूत-प्रेतों को ऐसी नकारात्मक सत्ताएं माना गया है, जो कुछ कारणों से पृथ्वी और दूसरे लोक  बीच फँसी रहती हैं।  इन्हे बेचैन व चंचल माना गाया है, जो अपनी अप्रत्याशित मौत के कारण अतृप्त हैं।  ये मृतक आत्माएँ  कई बार छाया, भूतादि के रूप में  स्थानों  के पीछे लॉग जाती हैं, जिनसे जीवितावस्था में इनका संबन्ध या मोह था।

भूत-प्रेत क्या होते है ? इसे लेकर तरह-तरह की धारणाएं और सिद्धांत हैं।  जैसे की विज्ञान मानता है की ऊर्जा को न तो पैदा किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता हैं। यह तो केवल एक रूप से दूसरे रुप में परिवर्त्तित होती हैं। जब तक हम जीवित होते हैं,  तब तक हमारे शरीर में ऊर्जा विभिन्न रूपों  मौजूद रहती हैं। हमारे विचार, भावनाएं, संवेदनाएं और यहाँ तक की हमारी आत्मा भी ऊर्जा का ही एक रुप होते है। ऊर्जा सूक्ष्म तत्व है, जिसे महसूस किया जा सकता है लेकिन देखा नहीं जा सकता।  शरीर के माध्यम से इस ऊर्जा की अभिव्यक्ति मात्र होती हैं।  मृत्यु के समय हमारा शारीर  हो जाता हैं, लेकिन ऊर्जा नष्ट नहीं होती और यह सूक्ष्म लोक में प्रवेश कर जाती हैं। इस तरह की ऊर्जा के प्रति जंतु ज्यादा सवेंदनशील होते हैं। इस बात के कई प्रमाण मिले है क़ि पशु किसी ख़ास कमरे में जाना पसन्द नहीं करते, अनदेखी चीज़ से डरकर भागते है या हवा में किसी चीज़ को एकटक निहारते रहते हैं।
‘स्प्रिचुअल साइंस रिसर्च फाउंडेशन’ के अनुसार – व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उसके भौतिक अंत हों जाता है, लेकिन सूक्ष्म शरीर (अवचेतन मन, बुद्धि, अहं, एवं आत्मा) की यात्रा आगे भी जारी रहती है।  ऐसे ही सूक्ष्मशरीरों में कुछ भूत-प्रेत पृथ्वी के आस-पास ही मौजूद रहते हैं।  इस तरह भूत-प्रेतों के बारे में यह कह सकते है की ए सूक्ष्मशरीरधारी है,  संबंध सबसे निम्नलोक से हैऔर जो पृथ्वीलोक मे भि मौज़ूद राहते हैं।  इसकी वजह यह है की भूत विभिन्न सूक्ष्मलोकों से पृथ्वी जैसे स्थूल लोक में अपनी इच्छा से यात्रा कर सकते हैं।  इनका  सकारात्मक लोक यानी स्वर्ग या इससे उच्चतर लोकों मे नहिं होता।  ये अतृप्त इच्छाओं से भरें होते है।  ऐसी आत्माएँ  कमजोर मनः स्तिथि क़े जीवीत लोगों के पीछे लगकर, उनके दिमाग पर कब्ज़ा कर , उन्हें तंग कर सुख भी हासिल करती है।
एक सहज प्रश्न मन में उठता है की मरने के बाद जीवात्मा की गति क्या होती है ? वह कहाँ जाती है ? क्या सभी जीवात्माएं मरने के बाद भूत बनती है ? इस प्रश्न उत्तर है – नहीं।  हिन्दू व सांख्य दर्शन के अनुसार, जीवन काल में किए गए हमारे कर्म व व्यवहारों के अनुसार यह निर्धारित होता है की शरीर कि मृत्यु होनें की बाद हमें क़्या बनना है। भूत-प्रेत बनकर निम्नलोकों  में भटकना हैं या आगे कि यात्रा ज़ारी रखते हुए इससे लोको में जाना है।हमारी मृत्यु के बाद जीवन को निर्धारित करने वाले कुछ अन्य कारक है, जैसे – जीवात्मा की मृत्यु का प्रकार कैसा हैं, यह स्वाभाविक है, शांतिपूर्ण है, उग्र है या दुर्घटना युक्त हैं। इसके अलावा मृत व्यक्ति की वंशजों द्वारा  गया अंतिम संस्कार भी जीवात्मा की गति को प्रभावित करता है। जहाँ तक मृत व्यक्ति के  क़ि बात है तो इस बारे में विभिन्न धर्म ग्रंथों में अनेक कारण बताए गए है, जैसे की अपूर्ण इच्छाएँ, लिप्साएँ, लोलुपताएँ, कई तरह के व्यक्तित्व विकार जैसे – क्रोध, लालच, भय, मन में ज्यादातर समय तक नकारात्मक विचार, उच्च स्तर का अहंकार, दूसरों को दुःख पहुंचाने का व्यवहार, परपीड़ा में सुख महसूस करने का भाव, आध्यात्मिक जीवन का अभाव आदि।
माना जाता है कि जो लोग अपने जीवन में आध्यात्मिक विकास करते हुए सार्थक प्रगति कार लेते है , वे कभी भूत-प्रेत नहीं बनते।  आध्यात्मिक विज्ञान शोधों का तो यहाँ तक कहना है कि यदि कोई अच्छा व्यक्ति हैं, लेकिन उसने जीवन भर आध्यात्मिक साधनाओं का कोई अभ्यास नहीं किया तो उसके मरने के बाद उसके भूत बनने कि जयादा संभावना होती है ; क्योकि तब उच्च स्तर के भूतों द्वारा उस पर हमला किया जाता है और वह मृतात्मा अन्य भूतों के नियंत्रण में आ जाती है, ठीक वैसे ही, जैसे उसके ऊपर किसी का शासन हो।
भूत-प्रेत दो तरह के होते है।  पहले वे, जिनकी अकाल मृत्यु हो गई है और अपनी निर्धारित आयु पूरी होने तक वे भूत-प्रेत बनकर भटकते रहते है  और दूसरी तरह के भूत वे होते है, जिनके बुरे कर्मों के कारण उन्हें भूत-प्रेत बनने की सजा मिलती है।  सजा भुगतने वाले भूत-प्रेतो की आयु कम से कम 1000 साल होती है।  भूत-प्रेतों के अंतर्गत भी कई योनियाँ हैं, जैसे-प्रेत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी, ब्रह्मराक्षस आदि।
भूत-प्रेतों के बारे में तरह-तरह के किस्से-कहानियाँ सुनने  जाती हैं, लेकिन उनकी वास्तविक प्रकर्ति की बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध हुई है; क्योकि जिस तरह से भूत-प्रेत खुद को अभिव्यक्त करते है , वे तरीके अप्रत्याशित औऱ दूर्लभ है।  ये सामन्यतः शोर,आवाज़े, सनसनाहट, गंध, वस्तुओं की उठा-पटक आदि के रूप में सामने आते है, जो कभी- अतिश्योक्तिपूर्ण, आलंकारिक और झूठ की गुंजाइश भी लिए होते है। इस बारे में हुए सर्वेक्षण ऐवं अध्ययन बताते है  लगभग हर 10 में से एक व्यक्ति के पास भूतों को महसूस करने की क्षमता है।  जो लोग सप्रयास तथा सक्रीय रूप से इन्हे देखने की कोशिश करते है, उन्हें इनमे सफलता मिलने कि कम से कम सँभावना होती है।  बच्चों को इसका अनुभव व्यस्कों की तूलना में ज्यादा होता है।  उम्र बढ़ने के साथ व्यस्कों मे इनके विरूद्ध अवरोध की यांत्रिकता विकसित हों जाती है। इसी तरह पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इनकि मौजूदगी क्या अनुभव ज्यादा होता है।
भूत का एक अर्थ होता है-जो बीत गया। इसी तरह से भूत का संबंध भी अतीत कि गहराई से होता हैं। वही मृतात्मा भूत-प्रेत बनती है, जिसमें आसक्ति बहुत अधिक होती है ओर इसी काऱण वह अपने अतीत से जुडी होती है। भूत-प्रेत होते जरूर है, लेकिन इनसे डरने की जरूरत नहीं।  ये हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकते; क्योंकि हम स्थूलशरीर में है और ये सूक्ष्मशरीर में।  स्थूल व सूक्ष्मशरीर की सीमाएँ व मर्यादाएँ है, जिन्हें ये तोड़ नहीं सकते।  फिर भी कुछ घटनाएँ ऐसी घटती है, जो इनके अस्तित्व की पहचान करातीं हैं।  ऐसे में आवश्यकता मात्र जीवन के मूलभूत सिद्धान्तों को समझकर निरंतर शुभ कर्म करने की है, ताकि शरीर छूटने के उपरान्त अच्छे कर्मों का परिणाम अच्छा ही मिल सके।


Monday, July 2, 2018

SANJU: A MUST WATCH FILM FOR EVERYONE

           SANJU: A MUST WATCH FILM            FOR EVERYONE





SANJU Film poster featuring Ranveer Kapoor showing different aspects of Sanjay Dutt's life

Sanjay Dutt's autobiography film "SANJU" is one of the greatest film ever made on a person in Bollywood.
This Ranveer Kapoor starrer film won millions of hearts all over the world and received critical acclaim from many individuals and sites.
The Rajkumar Hirani directed movie got a great 9.1 IMDb rating in just 4 days from its release. The film also ranked 43% on Rotten Tomatoes, which is a decent rating for an Indian film.


TOP 5 - 2018 Opening Weekend biz... 1. ₹ 120.06 cr 2. ₹ 114 cr [5-day *extended* weekend; select previews on Wed, released on Thu]... Hindi + Tamil + Telugu. 3. ₹ 106.47 cr 4. ₹ 73.10 cr 5. ₹ 41.01 cr

According to critic Taran Adarsh, Sanju became the biggest opener not just in 2018 but for any Bollywood film domestically. The movie was released on 4000 screens in India and 1300 screens in overseas.
The film collected 34.75 crore on its first day followed by 38.60 crore on the next day(Saturday). The movoie collected a massive 46.71 crore on its 3rd day(Sunday) and made a total of 120.06 crores on its first weekend. 
The film surpassed Race 3  to become the highest opening weekend and also overtaken Tiger Zinda Hai to become the highest opening weekend film of all time.

Sanju chronicles the life of the beloved "Baba" of Bollywood, Sanjay Dutt, who is popularly known as Sanju, a nick name given by his mother, Nargis. It unravels the mysteries and hypes that surround the actor. While some have questioned the accuracy of certain parts of Dutt's life, the film nonetheless ends up demystifying many conjectures which surround the actor. Paresh Rawal, Manisha Koirala, Dia Mirza, Sonam Kapoor, and Anushka Sharma are also a part of the ensemble.

(Click this link to watch the official trailer of "SANJU")

Not only did Sanju become the movie with the highest-opening weekend, it also set a record for the highest single day collection of any Indian movie with its Sunday's collections. Sanju's Sunday collections surpassed Baahubali 2's third day collection. Baahubali 2 had earned Rs 46.50 crore on Day 3, while Sanju managed Rs 46.71 crore.

The film also did well in Australia and made more business than blockbuster films like PK, DANGAL, SULTAN, DILWALE.

Ranveer Kapoor can finally breathe a sigh of relief after Bombay Velvet, Jagga Jasoos, and Besharam had completely collapsed at the box office and things were looking a bit concerning. Not only he has delivered a blockbuster this time around, his performance is even more furnished and might be the best till now. 

Lets hope for the film to become the fastest member in the 200 Crore club and for a Good rating on Rotten Tomatoes.


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